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चाचा काफी उम्रतराज थे जबकी चाची की उम्र कम थी और वे एकदम नई जवान लड़की की जैसी दिक्ती थी.
चाची का नाम बदला हुआ मोली था. चाची को एक छोटा लड़का भी था.
मैं बच्पन से उनको देखता आया था लेकिन मैंने उन्हें कभी गंदी नजर से नहीं देखा था.
एक दिन मैं अपनी छट पर ख़ड़ा था तभी मेरी नजर उनके आंगन में पड़ी चारपाई पर पड़ी जिस पर वे लेटी थी.
उनके पैरों पर से साडी हटी हुई थी और उनकी बूर चमक रही थी. मैं लगबख दस मिनिट तक उनकी बूर देखता रहा तभी उन्होंने देख लिया और बोल उठी नाए.